Thursday 8 September 2011

इसे चिराग क्यों कहते हो?

ये बुझा हुआ है। 
रौशनीना तो बाहर हैना ही अन्दर
औरइसे जलना भी नहीं आता।
इसे चिराग क्यों कहते हो?

7 comments:

संजय भास्‍कर said...

सब कुछ बड़ी सहजता से कह दिया आपने....

induravisinghj said...

speech less....touch the Heart...

नीरज गोस्वामी said...

कौन बताएगा?

नीरज

Saru Singhal said...

Deep thought, maybe it has a potential to spread light! Hope!!!

Sunil Kumar said...

.मुश्किल सवाल

pragya said...

जल-जल कर ही बुझा होगा कभी या फिर शायद कभी और जलेगा....कभी तो चिराग बनेगा ही....

नीरज द्विवेदी said...

इसलिए कि ये कभी जीवित था, इसने रौशनी दी है दुनिया को... अब रौशनी देने के काबिल नहीं रहा तो क्या हम इसे नकार देंगे, हम इतने एहसान फरामोश नहीं.

बहुत सुन्दरता से व्यक्त बहुत गहन भाव

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