रविवार, 5 जनवरी 2025

उम्रों की गैलरी में सजी फोटुएँ


यादें, उम्रों की गैलरी में सजी फोटुएँ हैं। कभी देखने, याद करने बैठ जाओ तो, आप अतीत में पोर्ट हो जाते हैं। लेकिन हम ऐसी यादों का ताना-बाना अभी भी बुन रहे होते हैं। यादें जीवन के मकड़जाल को बुनने वाला चिपचिपा जाला हैं।  मकड़ी के मुंह से ही वह तार या जाल निकलता है... जिससे वह शिकार के लिए ताना-बाना बनाती है। लेकिन अंततः जाले बुनने की क्षमता नष्ट हो जाने पर, अपने ही किसी अंतिम जाल में फंसकर मर जाती है।

ऐसे ही यादें हैं, जो मनुष्य जीवन बनाती हैं। मृत्युलोक में पैदा होना, किसी पाप का परिणाम... या शाप जैसा है। इसमें जीने को मिलता है क्योंकि मृत्यु सुनिश्चित होती है। इसमें जो भी मिलता है, खो जाने, छीन लिए जाने को मिलता है। ऐसी कोई चीज नहीं जो हमेशा आपके पास रहे, जिससे आप स्वयं को जोड़कर, स्थायी ‘‘आप’’... अमर ’‘मैं’’ बन जाएँ। ये अस्थायी चेतना, आपका होना, आपका अस्तित्व ही विचार मात्र, सपना या कल्पना है। पराये अजनबी अनजान हीं नहीं, जिनसे आपके रक्त संबंध हैं... वह भी उतने ही अजनबी, अनजान पराये हैं। क्या आप समझ पाते हैं कि, अब आपकी चेतना का आपसे क्या रिश्ता है?? ये चेतना क्या है?

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