बुधवार, 16 नवंबर 2011

रामकृष्ण परमहंस जी का अद्भुत दृष्टांत

धर्मोपदेशक, धर्म गुरू की समस्याएं


1 टिप्पणी:

संध्या शर्मा ने कहा…

अगर तुमने सच को छोड़ा, और किसी तरह तुम्हारी सांसें चलती रहीं और तुम उस तरह बचे रह गये, जिसे तुम जिन्दगी कहते हो।
तो साँसे तो चलेंगी पर इसे जिंदगी नहीं कह सकोगे है न.. बड़ी मुश्किल है ये ज़िन्दगी भी...

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