गरीबी बहुत बड़े अपराध नहीं करती, बस अपराधों की शुरूआत करती है। अमीरी की कोख से पहला अपराध ही हजार करोड़ डाॅलर से कम का नहीं होता। वह वित्तीय, आर्थिक, भौतिक, सामाजिक, स्वास्थ्य, मानवता किसी भी श्रेणी की वजह में नहीं समाता।
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जाग सके तो जाग, गरीब की टेम्पररी झोंपड़ी में, लाल पीली आग...