Friday 19 July 2013

उम्रें

कम उम्र किशोरों में उम्र के बारे में जो ख़याल होते हैं, उनमें ज्यादा मतभेद होते हैं। जैसे जैसे उम्र बढ़ती है यह खयाली मतभेद कमतर होते जाते हैं। साठ साल का आदमी 50 साल वाले से ज्यादा पूछपाछ नहीं करता... इंतजार करता है, वो 10 साल का फासला यूं ही गुजर जाता है।
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उम्र के फासलों के धोखे में रहना 
ख्वाबों—खयालों के झरोखों में रहना
दानापन नहीं है

जिस्म की इमारत बनते—बनते ही
खंडहर भी होने लगती है

तो छत खुली रखो
अक्सर टहलो
और जब तक इमारत राजी हो
खुलापन संजोओ

फिर मैदानों की ओर लौट चलो.

वो लम्हा खूबसूरत है जहां
किसी भी दिन के शिखर पर
एक नजर में ही
सारे उतार—चढ़ाव दिखते हैं

जहां से दिखता है कि
उम्र के उतार—चढ़ावों की ओट में
झूठ के सिवा कुछ नहीं है।

बचपन.जवानी.बुढ़ापा नादानी
सब एक साथ, सांसों में
आता जाता है... हर पल

दाने लोग
उसी पल को 
जीने की बात करते हैं.