Monday 23 August 2010

देखेंगे मौत के बाद फरिश्ते, क्या तारे होकर ढूंढते हैं


रात चले उग आते हैं मेरी आंखों में तेरी यादों के चांद
फिर सहर तलक, सारे जुगनू, बंजारे होकर ढूंढते हैं

जिसने भी देखा जलवा तेरा, हुआ बलवा उसके खयालों में
फिर सारी उम्र तक एक सफर, बेचारे होकर ढूंढते हैं

अंजाम पे पहुंची कहानी है, ये दिल तेरे गम की निशानी है
देखेंगे मौत के बाद फरिश्ते, क्या तारे होकर ढूंढते हैं

इन आग के शोलों पर ना जा, कि रूसवाई से क्यों है रजा
इस काले धुंए में छिपा है क्या, अंगारे होकर ढूंढते हैं

5 comments:

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

क्या बात है !

vandana gupta said...

रात चले उग आते हैं मेरी आंखों में तेरी यादों के चांद
फिर सहर तलक, सारे जुगनू, बंजारे होकर ढूंढते हैं

uf ..............gazab ki soch hai..........bahut hi sundar bhav bhare hain.

दिगम्बर नासवा said...

वाह क्या बात है ... उम्दा शेर हैं सब ....

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

सुंदर. लेकिन लगता है कि जैसे पहला शेर ग़ायब है.

शरद कोकास said...

एक शेर और चाहिये मुकम्मल होने के लिये ।

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