Wednesday 24 February 2010

बेखुदी में भी, मुझे तेरा खयाल रहता है


बेखुदी में भी, मुझे तेरा खयाल रहता है
हो ना हो तू, यहां तेरा कमाल रहता है

क्या हुआ आज जमाना बुरा है मुझसे तो
कि गुजरा कल ही इसकी मिसाल रहता है

क्या पता, फिर मिले, जाने कहां, किस सूरत में
तेरी हर याद को, मेरा दिल सम्हाल रहता है

रोज ही रात महकती, चहकती, दमकती है
हो न हो, तू मेरी नजर, तेरा जमाल रहता है

तू माफ कर दे मुझे, पर यही मुसीबत है
रोज ही मुझमें, कोई नया बवाल रहता है

शाम होते ही जैसे दिल भी डूबा जाता है
रोज सूरज की शक्ल, नया सवाल रहता है

12 comments:

vandana gupta said...

bahut khoob.

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

BEHTAREEN RACHNAA !

Apanatva said...

तू माफ कर दे मुझे, पर यही मुसीबत है
रोज ही मुझमें, कोई नया बवाल रहता है
bahut sunder sher.........
pooree rachana bandhe rakhatee hai...........

अनिल कान्त said...

achchhi....bahut achchhi

Rajeysha said...

रचना के मूल्‍यांकन हेतु सभी आदरणीय सद्जनों का हार्दिक आभार।

दिगम्बर नासवा said...

शाम होते ही जैसे दिल भी डूबा जाता है
रोज सूरज की शक्ल, नया सवाल रहता है

मुहब्बत में कुछ ऐसा ही होता है .. हर दिन नया दिन, हर रात नयी रात होती है ... अच्छा लिखा है ...

रश्मि प्रभा... said...

bahut khoob

chandrabhan bhardwaj said...

Achchhi ghazal hai
Badhai

Apanatva said...

Happy holi....

हरकीरत ' हीर' said...

अच्छी लगी आपकी भावाभिव्यक्ति ......!!

शरद कोकास said...

तेरी हर याद को, मेरा दिल सम्हाल रहता है
सम्हाले रहता है या सम्हाल रखता है ...फिरसे देखिये ?

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