Wednesday 2 December 2009

कहाँ नहीं मिलती मोहब्बत ?




मिलेगा जो चाहेगा खुदा, सब्र रख
दुआएं अमल में ला, सब्र रख


किसे मिला है ज्यादा उसके रसूख से?
खुदा पे यकीन ला, सब्र रख


सिकन्दर भी गए हैं, पैगम्बर भी गए हैं
वक्त की शै से धोखा न खा, सब्र रख


छोटी-छोटी बातों के क्या शिकवे गिले
खुदा बन, जो चाहता है खुदा, सब्र रख


नाकामियों उदासियों के सागर कितने गहरे?
तरकीब-ए-सुराख आजमा, सब्र रख


कहाँ नहीं मिलती मोहब्बत “अजनबी”
कुर्बानियाँ बढ़ा, दीवानगी बढ़ा, सब्र रख

5 comments:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

मिलेगा जो चाहेगा खुदा, सब्र रख
दुआएं अमल में ला, सब्र रख

किसे मिला है ज्यादा उसके रसूख से?
खुदा पे यकीन ला, सब्र रख

bahut sunder panktiyan........

behtareen kavita.........

रश्मि प्रभा... said...

सिकन्दर भी गए हैं, पैगम्बर भी गए हैं
वक्त की शै से धोखा न खा, सब्र रख
.......वाह, सही सन्देश !

दिगम्बर नासवा said...

कहाँ नहीं मिलती मोहब्बत “अजनबी”
कुर्बानियाँ बढ़ा, दीवानगी बढ़ा, सब्र रख...

सब्र ही तो नही है किसी के पास अब ........ सुंदर लिखा है ........

रज़िया "राज़" said...

मिलेगा जो चाहेगा खुदा, सब्र रख
दुआएं अमल में ला, सब्र रख
बहोत ख़ुब....वाह!!!

Murari Ki Kocktail said...

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