Thursday 19 November 2009

तुम कहाँ हो ?



यूं तो मुझको कोई गम न था, क्यों याद तुम्हारी आती रही
कोई आग सी दिल में दबी-दबी, आहों की हवा सुलगाती रही

जब भी तेरा नाम सुनाई दिया, इस दुनियां की किसी महफिल में
कई दिन तक, फिर इन आंखों में, तस्वीर तेरी लहराती रही

छोड़ू ये शहर, तोड़ूं नाते, जोगी बन वन - वन फिरता रहूं
कहीं तो होगा विसाल तेरा, उम्मीद ये दिल सहलाती रही

कई बार मेरे संग हुआ ऐसा, कि सोते हुए मैं उठ बैठा
मैं तुमसे मिन्नतें करता रहा, तुम खामोश कदम चली जाती रहीं

तेरा मिलना और बिछड़ जाना, इक ख्वाब सा बनकर रह गया है
तेरे होने, न होने की जिरह, ता जिंदगी मुझे भरमाती रही

9 comments:

निर्मला कपिला said...

तेरा मिलना और बिछड़ जाना, इक ख्वाब सा बनकर रह गया है
तेरे होने, न होने की जिरह, ता जिंदगी मुझे भरमाती रह
वाह बहुत खूब बधाई

vandana gupta said...

bahut hi sundar khyalon se saji rachna.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

छोड़ू ये शहर, तोड़ूं नाते, जोगी बन वन - वन फिरता रहूं

कहीं तो होगा विसाल तेरा, उम्मीद ये दिल सहलाती रही

कई बार मेरे संग हुआ ऐसा, कि सोते हुए मैं उठ बैठा

मैं तुमसे मिन्नतें करता रहा, तुम खामोश कदम चली जाती रहीं

Bahut khoob, Sundar bhaav !

संजय भास्‍कर said...

तेरा मिलना और बिछड़ जाना, इक ख्वाब सा बनकर रह गया है
LAJAWAAB RACHNA

रश्मि प्रभा... said...

जब भी तेरा नाम सुनाई दिया, इस दुनियां की किसी महफिल में
कई दिन तक, फिर इन आंखों में, तस्वीर तेरी लहराती रही
.............................

कई बार मेरे संग हुआ ऐसा, कि सोते हुए मैं उठ बैठा
मैं तुमसे मिन्नतें करता रहा, तुम खामोश कदम चली जाती रहीं......ek pyaar, ek nirvikaar......zindagi yun kuch samjhati hi hai

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाहवा.... सुंदर रचना..

हरकीरत ' हीर' said...

यूं तो मुझको कोई गम न था, क्यों याद तुम्हारी आती रही

कोई आग सी दिल में दबी-दबी, आहों की हवा सुलगाती रही

ववाह...वाह .....मर्ज़ कुछ नया सा है ......!!

जब भी तेरा नाम सुनाई दिया, इस दुनियां की किसी महफिल में

कई दिन तक, फिर इन आंखों में, तस्वीर तेरी लहराती रही


सिर्फ कई दिन तक.......? अच्छा है आगे का रस्ता तो साफ है ......

छोड़ू ये शहर, तोड़ूं नाते, जोगी बन वन - वन फिरता रहूं

लाजवाब आइडिया ...कपडे भिजवा दूँ .....??

कमेन्ट पर मत जाएँ नज़्म बहुत ही बढ़िया है .....!!

शरद कोकास said...

तेरे होने, न होने की जिरह, ता जिंदगी मुझे भरमाती रही yah pankti behad achछ्ee lagee

daanish said...

जब भी तेरा नाम सुनाई दिया, इस दुनियां की किसी महफिल में

कई दिन तक, फिर इन आंखों में, तस्वीर तेरी लहराती रही

bahut achhaa...
sundar rachnaa .

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