Wednesday 21 October 2009

सूरज की राह न तको

जुगनुओं की रोशनी में, रास्ते तय कीजिये,
सूरज की राह तकोगे तो, मंजिलें दूर हो जायेंगी ।

जमाना बुरा है, दिल की बातें, ना उड़ाते फिरा करो,
यूं तो तुम्हारी मुश्किलें, कुछ और मशहूर हो जायेंगी ।

दिल न माने फिर भी, इस भीड़ में आते-जाते रहो,
जब कभी भी तन्हा होगे, महफिलें दूर हो जायेंगी ।

लम्बी उम्रों की दुआएं, देने वाले नहीं रहे,
दुश्‍मनों की उम्मीदें अब, सफल जरूर हो जायेंगी ।

कहता था कर नजर गहरी, और फिर चुप हो गया,
नहीं पता था वो नजर, यूं नूर-ए-रूह हो जायेगी ।

10 comments:

Manish Kumar said...

अच्छा लगा आपका अंदाजे बयाँ !

M VERMA said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
आम के लिये तो जुगनुओ का ही आसरा है

kishore ghildiyal said...

aapke is andaz ke kya kehne bahut khoob
http/jyotishkishore.blogspot.com

Jandunia said...

उम्दा गजल है

निर्मला कपिला said...

जुगनुओं की रिशनी मे रास्ते---- लाजवाब शेर है वैसे पूरी गज़ल ही सुन्दरशै शुभकामनायें

निर्मला कपिला said...

जुगनुओं की रिशनी मे रास्ते---- लाजवाब शेर है वैसे पूरी गज़ल ही सुन्दरशै शुभकामनायें

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया गजल है।बधाई।

डिम्पल मल्होत्रा said...

pichhli post khabo me ro deta hun bahut achhi lgi...

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा रचा है.

Pritishi said...

Very good thoughts. Nice.

And thanks for your comment on my blog !

God bless
RC

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