Wednesday 9 September 2009

किस्मत के किस्से अजीब

जिससे मीठी प्यारी कही, उसने ही मुझे प्यार दिया
खरी-खरी जो कही कभी, सबने ही दुत्कार दिया

कहीं नहीं जो प्रेम उधार मिला, तो कल्पना को विस्तार दिया
गिले शिकवे भी खुद से किये, खुद को बहुत दुलार दिया

दुनियां में जो सीधा जिया, उसने अपनों को भार दिया
दुनियां में जो टेढ़ा हुआ, दो पीढ़ियों को भी तार दिया

लोगों से बनकर भला बुरा, मैंने उसको आधार दिया
विश्वास किया जिस कश्ती पर, उसने ही मझदार दिया

मेरे सीधे सादे बोलों को तो सबने ही इन्कार दिया
घुमा फिरा कर जो बोला, उसे नेह दिया उपहार दिया

हैं किस्मत के किस्से अजीब, तन और धन जिसे अपार दिया
इक छोटा सा दिल दे डाला, जिसको सारा संसार दिया

मैं धन्य भाग प्रभु चरण राग, कि मुझे जीवन का सार दिया
रहूं सदा होश, न खोऊं जोश, ओ’ सदा सबको स्वीकार दिया

2 comments:

Ashutosh said...

बहुत ही सुन्दर रचना है.
हिन्दीकुंज

नीरज गोस्वामी said...

"दुनिया में जो सीधा जिया....एक दम सच्ची बात लिख डाली है आपने अपनी रचना में...वाह...
नीरज

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